१४१ साल पहले बापू का जन्म हुआ। तब से लेकर अब तक काफी कुछ बदला है। देश बदला समाज बदला, और दुनिया भी। वक्त के साथ साथ नई-नई विचारधाराएं आई, और उन विचारधाराओं ने समाज की सोच-समझ को भी कई मायने में नया मतलब दिया है। लेकिन कुछ नहीं बदला तो वह सत्य है,जिसकी अहमियत गांधी से बेहतर कोई नहीं जान पाया।
दरअसल बापू सत्य के इतने करीब थे कि उनकी पूरी विचारधारा, कार्यशैली, अहिंसात्मक सोच इसी पर टिकी थी। भले ही हम उसे किसी नाम से क्यों न पुकारें-
जारी है.....
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